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अवैध वन्यजीव व्यापार

अवैध वन्यजीव व्यापार

अवैध वन्यजीव व्यापार

Illegal wildlife trade

अवैध वन्यजीव व्यापार क्या है?

अवैध वन्यजीव व्यापार, जानवरों और पौधों की प्रजातियों और उनके उत्पादों के गैर-कानूनी शिकार, कब्जे, व्यापार और परिवहन को संदर्भित करता है। यह एक बहु-अरब डॉलर का अवैध उद्योग है जो जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहा है, पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर रहा है और स्थानीय समुदायों को प्रभावित कर रहा है।

अवैध वन्यजीव व्यापार की व्यापकता :

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अवैध वन्यजीव व्यापार का अनुमानित मूल्य 7 से 23 अरब डॉलर प्रति वर्ष है, जिससे यह दुनिया में सबसे बड़े अवैध व्यापारों में से एक बन गया है।
  • वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हाथी दांत की अवैध तस्करी से हर साल लगभग 20,000 हाथियों की मौत हो जाती है।
  • ट्रैफिक की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 2010 से 2019 के बीच, 150 से अधिक देशों में 46,000 से अधिक तस्करी वाले पौधों और जानवरों को जब्त किया गया, जो अवैध वन्यजीव व्यापार के पैमाने को दर्शाता है।

अवैध वन्यजीव व्यापार के प्रभाव :

अवैध वन्यजीव व्यापार एक जटिल मुद्दा है, जिसके हमारे ग्रह और इसके निवासियों पर विनाशकारी परिणाम हैं। इस व्यापार के पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पड़ते हैं, जिससे जैव विविधता का नुकसान, लोगों की आजीविका का विनाश और वैज्ञानिक ज्ञान का क्षरण होता है। आइए, उदाहरणों के साथ, इसके विभिन्न प्रभावों पर अधिक विस्तार से चर्चा करें:

1.पर्यावरणीय प्रभाव:

  • जीवों की आबादी में कमी: हाथी, गैंडा, बाघ और गोरिल्ला जैसी कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा मुख्य रूप से अवैध शिकार और तस्करी के कारण है। उदाहरण के लिए, अनुमान है कि अफ्रीकी हाथी की आबादी पिछले कुछ दशकों में अवैध हाथीदांत व्यापार के कारण 70% तक कम हो गई है।
  • जैव विविधता का ह्रास: अवैध वन्यजीव व्यापार महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को प्रदान करने वाली प्रजातियों को लक्षित करता है, जिससे जैव विविधता का ह्रास होता है। उदाहरण के लिए, बड़े शिकारियों को हटाने से ट्रैफिक कैस्केड हो सकते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्य में परिवर्तन होते हैं।
  • पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान: जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास से हटाने से पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है । उदाहरण के लिए, एशिया में अवैध लकड़ी की कटाई से वनों की कटाई हो रही है, जिससे जैव विविधता का नुकसान, मिट्टी का क्षरण और जलवायु परिवर्तन होता है।
  • आक्रामक प्रजातियों का प्रसार: अवैध वन्यजीव व्यापार में विदेशी प्रजातियों की शुरुआत शामिल हो सकती है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, पाइथन जैसे पालतू व्यापार के लिए तस्करी किए गए विदेशी सांपों को फ्लोरिडा के एवरग्लेड्स जैसे नए वातावरण में पेश किया गया है, जहाँ वे देशी वन्यजीवों को खा जाते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ते हैं।

2.सामाजिक प्रभाव:

  • स्थानीय समुदायों की आजीविका पर प्रभाव: अवैध वन्यजीव व्यापार से अक्सर स्थानीय समुदाय की आजीविका प्रभावित होती है, जो अपने जीवन यापन के लिए वन्यजीव संसाधनों पर निर्भर करते हैं। अवैध शिकार और तस्करी से महत्वपूर्ण खाद्य स्रोतों में कमी, आय के अवसरों का नुकसान और सांस्कृतिक प्रथाओं में व्यवधान हो सकता है।
  • संगठित अपराध को बढ़ावा: अवैध वन्यजीव व्यापार अक्सर संगठित अपराध समूहों द्वारा संचालित किया जाता है, जो मादक पदार्थों की तस्करी और मानव तस्करी जैसे अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होते हैं। इन समूहों की गतिविधियों से स्थानीय समुदायों की सुरक्षा और स्थिरता को खतरा हो सकता है।
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा: अवैध वन्यजीव व्यापार से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता है, क्योंकि तस्कर कानून प्रवर्तन और सीमा अधिकारियों को रिश्वत देने का सहारा लेते हैं। इससे कानून का शासन कमजोर हो सकता है और शासन खराब हो सकता है।

3.आर्थिक प्रभाव:

  • आर्थिक नुकसान: अवैध वन्यजीव व्यापार से देशों को अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान होता है। तस्करी किए गए वन्यजीवों से पर्यटन राजस्व, शिकार के अवसर और जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाली आय का नुकसान होता है।
  • विकास को नुकसान: अवैध वन्यजीव व्यापार विकास को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर उन देशों में जो अपने पर्यटन उद्योग के लिए वन्यजीव संसाधनों पर निर्भर हैं। वन्यजीव आबादी में गिरावट से पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता कम हो सकती है और आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  • नौकरी छूटना: अवैध वन्यजीव व्यापार से नौकरी छूट सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ लोग वन्यजीवों से जुड़े पर्यटन और अन्य उद्योगों पर निर्भर हैं। वन्यजीवों की तस्करी से इन उद्योगों में राजस्व में कमी आ सकती है और लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।

4.वैज्ञानिक प्रभाव:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान को बाधित करना: अवैध वन्यजीव व्यापार महत्वपूर्ण वैज्ञानिक नमूनों और आंकड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और अनुसंधान परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इससे जानवरों की आबादी, पारिस्थितिकी तंत्र और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों को समझना मुश्किल हो जाता है।
  • नए रोगों का प्रसार: अवैध वन्यजीव व्यापार नए रोगों के प्रसार में योगदान कर सकता है, जिसमें जूनोटिक रोग शामिल हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकते हैं। जंगली जानवरों के संपर्क में आने और उनके व्यापार से कोविड-19 जैसे उभरते संक्रामक रोग फैल सकते हैं।
  • आनुवंशिक विविधता का नुकसान: अवैध वन्यजीव व्यापार आनुवंशिक विविधता का नुकसान कर सकता है, जिससे प्रजातियों की अनुकूल होने और बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता कम हो जाती है। वन्यजीव आबादी में गिरावट से आनुवंशिक अड़चनें और प्रजातियों की लुप्त होने की संभावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

अवैध वन्यजीव व्यापार एक गंभीर खतरा है जिसके व्यापक पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक प्रभाव हैं। इस व्यापार का मुकाबला करने के लिए, कानून प्रवर्तन को मजबूत करना, मांग को कम करना, स्थानीय समुदायों को शामिल करना और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना आवश्यक है। अपने ग्रह को बचाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सामूहिक कार्रवाई जरूरी है।

अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए कदम:

अवैध वन्यजीव व्यापार एक जटिल मुद्दा है जिसके लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इस व्यापार से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

1.प्रवर्तन को मजबूत करना:

  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए संसाधनों और प्रशिक्षण में वृद्धि करना ताकि वे अवैध वन्यजीव व्यापार में शामिल लोगों की पहचान, जांच और अभियोजन कर सकें।
  • सीमा नियंत्रण को मजबूत करना ताकि तस्करी किए गए वन्य जीवों और उनके उत्पादों के परिवहन को रोका जा सके।
  • भ्रष्टाचार का मुकाबला करना और यह सुनिश्चित करना कि कानून को लागू करने वाले अधिकारी अवैध वन्यजीव व्यापार में शामिल नहीं हैं।
  • उदाहरण: केन्या में, वन्यजीव अपराध इकाई की स्थापना से शिकारियों और तस्करों की गिरफ्तारी और अभियोजन में वृद्धि हुई है।

2.मांग को कम करना:

  • उपभोक्ताओं को वन्य जीवों और उनके उत्पादों की तस्करी के बारे में शिक्षित करना और उन्हें इन उत्पादों की खरीद न करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले वन्यजीव उत्पादों के लिए स्थायी और कानूनी विकल्पों को बढ़ावा देना।
  • सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर अवैध वन्यजीव व्यापार को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों और पोस्ट को हटाना।
  • उदाहरण: चीन में, गैंडे के सींग की खपत को कम करने के लिए सरकार द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों से मांग में उल्लेखनीय कमी आई है।

3.स्थानीय समुदायों को शामिल करना:

  • वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करना, जो अक्सर वन्यजीवों की तस्करी से प्रभावित होते हैं।
  • समुदायों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना ताकि उन्हें अवैध वन्यजीव व्यापार में शामिल होने से रोका जा स के।
  • स्थानीय लोगों को वन्यजीवों की निगरानी और रक्षा करने में प्रशिक्षित करना।
  • उदाहरण: नामीबिया में, सामुदायिक संरक्षण कार्यक्रमों से अवैध शिकार में कमी और स्थानीय समुदाय की आजीविका में सुधार हुआ है।

4.अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना:

  • विभिन्न देशों की सरकारों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि वन्यजीव अपराधियों को सीमाओं के पार ट्रैक और गिरफ्तार किया जा सके।
  • अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और संधियों को लागू करना, जैसे कि कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फौना एंड फ्लोरा (CITES)।
  • जानकारी और विशेषज्ञता साझा करने के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का समर्थन करना।
  • उदाहरण: अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) और यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के बीच एक संयुक्त कार्यक्रम से वन्यजीव अपराध के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सुधार हुआ है।

5.वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना:

  • अवैध वन्यजीव व्यापार के पैमाने, प्रकृति और प्रभावों पर शोध का समर्थन करना ताकि प्रभावी संरक्षण रणनीतियों को विकसित किया जा सके।
  • वन्यजीव आबादी की निगरानी के लिए नई तकनीकों का विकास करना ताकि तस्करी के रुझानों का पता लगाया जा सके और शिकार के गर्म स्थानों की पहचान की जा सके।
  • अवैध वन्यजीव व्यापार में शामिल अपराधियों द्वारा उपयोग किए जा रहे व्यापारिक मार्गों और तस्करी के तरीकों के बारे में जानकारी का विश्लेषण और साझा करना।
  • उदाहरण: ट्रैफिक द्वारा किए गए शोध से तस्करी के रास्तों और तस्करी के तरीकों की बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिली है, जिससे कानून प्रवर्तन अधिकारियों को अपनी प्रतिक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद मिली है।

इन कदमों को उठाकर, हम अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने और दुनिया भर के वन्यजीवों की रक्षा करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय कर सकते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक जटिल समस्या है और इसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों को वन्यजीव अपराध का मुकाबला करने और हमारे ग्रह की प्राकृतिक विरासत की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

भारत सरकार द्वारा अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए उठाए गए कदम

भारत सरकार अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है, जिसमें शामिल हैं:

1.कानूनी और नीतिगत ढाँचा:

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: यह अधिनियम भारत में वन्य जीवों और उनके आवास की सुरक्षा के लिए मुख्य कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजातियों के शिकार, व्यापार या परिवहन पर प्रतिबंध है, और उल्लंघन के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
  • विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992: यह अधिनियम भारत में वन्य जीवों और उनके उत्पादों के आयात और निर्यात को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम CITES (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) के प्रावधानों के अनुपालन को सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (NWAP): यह कार्य योजना भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करती है, जिसमें अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए रणनीतियाँ शामिल हैं।

2.प्रवर्तन एजेंसियाँ:

  • केंद्रीय वन्यजीव ब्यूरो (WCCB): WCCB भारत में अवैध वन्यजीव व्यापार के प्रवर्तन के लिए नोडल एजेंसी है। यह राज्य वन विभागों और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है ताकि वन्यजीव अपराधों की जांच और अभियोजन किया जा सके।
  • राज्य वन विभाग: राज्य वन विभाग अपने-अपने राज्यों में वन्यजीव संरक्षण और अवैध वन्यजीव व्यापार के प्रवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।

3.जागरूकता और शिक्षा:

  • जागरूकता अभियान: सरकार अवैध वन्यजीव व्यापार के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाती है। इन अभियानों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग शामिल है।
  • शैक्षिक कार्यक्रम: सरकार स्कूलों और कॉलेजों में वन्यजीव संरक्षण के बारे में शिक्षित करने के लिए शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करती है।

4.अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:

  • CITES: भारत CITES का एक पक्षकार है और इस संधि के प्रावधानों को लागू करने के लिए अन्य देशों के साथ काम करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन: भारत अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए इंटरपोल, यूएनओडीसी (संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थों और अपराध कार्यालय) और डब्ल्यूसीएस (वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करता है।

5.वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB):

  • स्थापना: WCCB की स्थापना 1986 में भारत में वन्यजीव अपराधों की जांच करने और उन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई थी।
  • जिम्मेदारियाँ: WCCB की जिम्मेदारियों में वन्यजीव अपराधों की जानकारी एकत्र करना, जांच करना और अभियोजन करना, वन्यजीव अपराधियों को गिरफ्तार करना और वन्यजीव अपराधों को रोकने के लिए जनता को जागरूक करना शामिल है।
  • उपलब्धियाँ: WCCB ने कई हाई-प्रोफाइल वन्यजीव अपराधों का भंडाफोड़ किया है और वन्यजीव अपराधियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

6.तकनीकी पहल:

  • ई-सर्विलांस: सरकार अवैध वन्यजीव व्यापार की निगरानी के लिए ई-सर्विलांस तकनीकों का उपयोग कर रही है। इसमें वन्यजीव उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री की निगरानी करना और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करना शामिल है।
  • फॉरेंसिक विश्लेषण: सरकार वन्यजीव अपराधों की जांच में सहायता के लिए फॉरेंसिक विश्लेषण का उपयोग कर रही है। इसमें डीएनए विश्लेषण, बालों और फाइबर विश्लेषण और रेडियो कार्बन डेटिंग जैसी तकनीकें शामिल हैं ।

7.सामुदायिक भागीदारी:

  • सरकार अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने में स्थानीय समुदायों को शामिल कर रही है। इसमें वन्यजीव संरक्षण के बारे में समुदायों को शिक्षित करना और उन्हें वन्यजीव अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है।

8.वित्तीय सहायता:

  • सरकार अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए राज्य वन विभाग ों और अन्य एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इसमें वन्यजीव संरक्षण गतिविधियों, प्रवर्तन प्रयासों और जागरूकता अभियानों के लिए धन शामिल है।

भारत सरकार अवैध वन्यजीव व्यापार से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से वन्यजीव अपराधों को कम करने और भारत में वन्यजीवों की रक्षा करने में मदद मिली है।

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