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भूकम्प पृथ्वी की सतह पर अचानक होने वाली कंपन या झटकों की स्थिति को कहते हैं

भूकम्प पृथ्वी की सतह पर अचानक होने वाली कंपन या झटकों की स्थिति को कहते हैं, जो कि पृथ्वी के अंदर गहराई में किसी तरह के ऊर्जा विस्फोट या अन्य भूगर्भीय उलटना के कारण उत्पन्न होता है।

भूकंप के कारण:

1. टेक्टोनिक प्लेट्स का खिसकना: पृथ्वी की बाहरी सतह कई बड़े और छोटे टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। जब ये प्लेट्स परस्पर टकराती हैं, खिसकती हैं या एक-दूसरे के ऊपर खिसकती हैं, तब जबरदस्त ऊर्जा रिलीज होती है जिससे भूकम्प उत्पन्न होता है।

उदाहरण:

2015 का नेपाल भूकम्प: यह हिमालयन टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने का परिणाम था।

2. सुमात्रा-अंडमान भूकंप (2004): भारतीय प्लेट और बर्मी प्लेट की टकराहट के कारण।

ज्वालामुखी विस्फोट: जब ज्वालामुखी फटते हैं, तब भी भूकंप के झटके महसूस हो सकते हैं। यह ऊर्जा ज्वालामुखीय गतिविधियों की वजह से निकलती है।

उदाहरण:

माउंट सेंट हेलेंस का 1980 विस्फोट: ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण बड़े पैमाने पर भूकम्प उत्पन्न हुआ।

3. भूस्खलन (लैंडस्लाइड): पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलनों के कारण भी भूकम्प उत्पन्न हो सकते हैं। भारी बारिश के बाद जब बड़ी चट्टानें खिसकती हैं तो इससे भी भूकंप के झटके आ सकते हैं।

उदाहरण:

सिचुआन भूकम्प (2008): चीन में हुआ यह भूकम्प टेक्टोनिक गतिविधियों के साथ-साथ भारी भूस्खलन का परिणाम था।

4. इंसानी गतिविधियाँ: कुछ भूकंप मानव गतिविधियों का परिणाम होते हैं, जैसे कि बांधों का निर्माण, खनन कार्य, जलाशयों का निर्माण या भू-गर्भीय परिशोधित करना।

उदाहरण:

कोयना भूकम्प (1967): महाराष्ट्र में कोयना बांध के निर्माण के बाद एक बड़े भूकम्प ने क्षेत्र को प्रभावित किया।

सारांश:

भूकम्प एक जटिल भूगर्भीय घटना है जो अनेक कारणों से उत्पन्न हो सकती है। इनमें टेक्टोनिक प्लेट्स का खिसकना, ज्वालामुखीय गतिविधियाँ, भूस्खलन, और मानवीय गतिविधियाँ शामिल हैं। लगातार वैज्ञानिक अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से हम भूकंप की गतिविधियों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनसे निपटने के उपाय कर सकते हैं।

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