भारत का स्वतंत्रता संग्राम एक ऐसा युग था जिसने भारत की दिशा और दशा को बदल दिया। यह संघर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 में भारत की आजादी तक चला। इसमें अनेक महानायकों ने अपने प्राणों की आहुति दी और भारतवासियों को स्वतंत्रता का सपना साकार करने के लिए प्रेरित किया।
स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत
1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला संगठित प्रयास था। इसे "सिपाही विद्रोह" या "भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम" भी कहा जाता है। मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, और नाना साहेब जैसे वीरों ने इस संघर्ष में अहम भूमिका निभाई।
प्रमुख आंदोलन
- स्वदेशी आंदोलन (1905): ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आंदोलन।
- जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919): इस घटना ने पूरे देश में रोष उत्पन्न किया।
- असहयोग आंदोलन (1920): महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों का सहयोग न करने की पहल।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930): दांडी मार्च के साथ गांधीजी ने नमक कानून का विरोध किया।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): "अंग्रेजों भारत छोड़ो" का नारा पूरे देश में गूंजा।
महानायक और उनके योगदान
- महात्मा गांधी: सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत।
- भगत सिंह: युवा क्रांतिकारी जिसने बलिदान देकर आजादी की नींव मजबूत की।
- सुभाष चंद्र बोस: आजाद हिंद फौज के संस्थापक।
- बाल गंगाधर तिलक: "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है" का उद्घोष।
आजादी का दिन
15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली। यह दिन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए स्वतंत्रता, संघर्ष, और बलिदान का प्रतीक है।
निष्कर्ष
भारत का स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास का गौरवशाली अध्याय है। यह हमें न केवल स्वतंत्रता का मूल्य समझने बल्कि एकजुटता और देशभक्ति का संदेश भी देता है।