हाल ही में, भारत सरकार ने किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले जैव उत्तेजक पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 के अंतर्गत समुद्री शैवाल आधारित जैव उत्तेजक पदार्थों को शामिल किया है।
बायोस्टिमुलेंट्स:
- जैव उत्तेजक पदार्थ पौधों या उनकी जड़ों में प्राकृतिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देते हैं, पोषक तत्वों के अवशोषण, दक्षता, तनाव सहनशीलता और समग्र फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार करते हैं।
- वे जैविक खेती के साथ अच्छी तरह से मेल खाते हैं क्योंकि वे पारिस्थितिक संतुलन, मृदा स्वास्थ्य और सिंथेटिक रसायनों पर निर्भरता को कम करने पर भी जोर देते हैं।
- सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से देश में समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा दे रही है।
- सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) जैसी योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रही है।
- पीकेवीवाई को देश भर में पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा अन्य सभी राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है, जबकि एमओवीसीडीएनईआर योजना विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में क्रियान्वित की जा रही है।
- दोनों ही योजनाएं जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणीकरण और विपणन तथा कटाई के बाद प्रबंधन तक संपूर्ण सहायता प्रदान करने पर जोर देती हैं। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण इस योजना का अभिन्न अंग है।