भारतीय संविधान की प्रस्तावना का परिचय
- Date: 16 December, 2024
भारतीय संविधान की प्रस्तावना एक संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली बयान है जो संविधान की पूरी भावना को व्यक्त करती है। यह संविधान के सिद्धांतों और उद्देश्यों को समझाने वाली प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करती है। 26 नवंबर 1949 को अपनाई गई, प्रस्तावना न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्यों को रेखांकित करती है।
प्रस्तावना क्या है?
प्रस्तावना संविधान का परिचयात्मक हिस्सा है, जो इसके दर्शन और उद्देश्य को स्पष्ट करती है। यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है, जिसमें शक्ति जनता के पास है।
प्रस्तावना की प्रमुख विशेषताएं
प्रस्तावना के उद्देश्य
42वां संशोधन और प्रस्तावना
1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन के तहत प्रस्तावना में तीन शब्द—"समाजवादी," "धर्मनिरपेक्ष," और "अखंडता"—जोड़े गए थे, जो देश की बदलती भावना को दर्शाते हैं।
प्रस्तावना का महत्व
प्रस्तावना का महत्व इस प्रकार है:
निष्कर्ष
प्रस्तावना केवल एक परिचयात्मक बयान नहीं है; यह भारत के लोकतांत्रिक आदर्शों और आकांक्षाओं का दर्पण है। यह संविधान की आत्मा को संजोए हुए है और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की ओर देश की यात्रा को प्रेरित करती है।