भारतीय संसद देश की सर्वोच्च विधायिका है, जो भारतीय लोकतंत्र की नींव है। इसमें भारत के राष्ट्रपति और दो सदन शामिल हैं: राज्यसभा (राज्यों की परिषद) और लोकसभा (जनप्रतिनिधियों का सदन)। यह ब्लॉग संसद की संरचना, शक्तियों और कार्यों पर प्रकाश डालता है और इसके महत्व को रेखांकित करता है।
संसद की संरचना
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राष्ट्रपति:
- राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं।
- राष्ट्रपति सत्र बुलाने, स्थगित करने और विधेयकों पर अपनी सहमति देने जैसे महत्वपूर्ण विधायी कार्य करते हैं।
- सभी प्रकार के आपातकालीन प्रावधानों को लागू करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
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राज्यसभा (उच्च सदन):
- इसमें राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं।
- इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 250 है, जिसमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए नामांकित किए जाते हैं।
- राज्यसभा का कार्यकाल स्थायी होता है; इसके सदस्य हर दो साल में एक-तिहाई सीटों पर चुने जाते हैं।
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लोकसभा (निचला सदन):
- इसमें देश के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि होते हैं।
- इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 552 है, जिसमें 20 सदस्य संघ शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है, लेकिन इसे राष्ट्रपति के आदेश पर भंग किया जा सकता है।
संसद की शक्तियां और कार्य
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विधायी कार्य:
- संसद संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार रखती है।
- समवर्ती सूची पर विवाद की स्थिति में संसद का निर्णय सर्वोपरि होता है।
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वित्तीय शक्तियां:
- संसद देश के वित्तीय मामलों का नियंत्रण करती है, जिसमें वार्षिक बजट पारित करना और धन विधेयक स्वीकृत करना शामिल है।
- वित्तीय मामलों में लोकसभा को अधिक शक्ति प्राप्त है, क्योंकि धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
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कार्यपालिका पर नियंत्रण:
- संसद कार्यपालिका को प्रश्न, बहस और अविश्वास प्रस्ताव जैसे माध्यमों से उत्तरदायी बनाती है।
- सरकार केवल तब तक सत्ता में रह सकती है, जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो।
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संवैधानिक शक्तियां:
- संसद संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन कर सकती है।
- इसके लिए दोनों सदनों की मंजूरी आवश्यक होती है।
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न्यायिक शक्तियां:
- संसद के पास राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को पद से हटाने का अधिकार है।
- संसद को अपने विशेषाधिकारों की अवमानना करने वालों को दंडित करने का अधिकार है।
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चुनावी शक्तियां:
- संसद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती है।
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अन्य शक्तियां:
- संसद राज्यों के पुनर्गठन, सीमाओं में परिवर्तन और नामकरण के लिए कानून बना सकती है।
- संसद आपातकालीन प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति द्वारा जारी घोषणाओं को अनुमोदित करती है।
संसद के सत्र
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बजट सत्र:
- फरवरी से मई तक आयोजित होता है।
- इसमें वार्षिक बजट प्रस्तुत और पारित किया जाता है।
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मानसून सत्र:
- जुलाई से सितंबर तक आयोजित होता है।
- इसमें आम विधायी कार्य और चर्चा होती है।
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शीतकालीन सत्र:
- नवंबर से दिसंबर तक आयोजित होता है।
- इसमें नीतिगत मामलों और तत्काल विधायी कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
भारतीय संसद का महत्व
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प्रतिनिधित्व का प्रतीक:
- संसद देश के विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की आवाज़ को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है।
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नीति निर्माण का मंच:
- यह सार्वजनिक नीतियों पर बहस और उन्हें आकार देने का महत्वपूर्ण मंच है।
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जवाबदेही का साधन:
- संसद कार्यपालिका की शक्ति को नियंत्रित करती है और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
संसद द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां
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सत्रों में व्यवधान:
- सत्र के दौरान बार-बार होने वाले व्यवधान विधायी उत्पादकता में बाधा डालते हैं।
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बहस की कमी:
- सार्थक बहसों के लिए कम समय दिया जाना निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
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अपर्याप्त प्रतिनिधित्व:
- हाशिए के समूहों, विशेषकर महिलाओं का संसद में प्रतिनिधित्व कम है।
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अधिनियमों का अनुचित उपयोग:
- संसद को दरकिनार कर अध्यादेशों का बार-बार उपयोग विधायी प्रक्रिया को कमजोर करता है।
निष्कर्ष
भारतीय संसद लोकतंत्र, न्याय और समानता के मूल्यों को बनाए रखने वाला एक गतिशील संस्थान है। चुनौतियों के बावजूद, यह प्रभावी शासन और विधायी कार्रवाई के माध्यम से देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।